राम नवमी: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म का पावन पर्व”2025

राम के जन्म का पर्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सम्पूर्ण भारतवर्ष में भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव ‘राम नवमी’ को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धर्म और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह न्याय, मर्यादा, करुणा और कर्तव्य का संदेश भी देता है।

श्रीराम का जन्म अयोध्या नगरी में राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर हुआ था। उन्हें विष्णु भगवान का सातवां अवतार माना जाता है। त्रेतायुग में राक्षसों के अत्याचार से त्रस्त पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया।

📜 श्रीराम जन्म की कथा

त्रेतायुग में जब रावण जैसे राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया, तब धरती माता ने ब्रह्मा जी के माध्यम से भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर में श्रीराम के रूप में जन्म लेने का संकल्प लिया। chaitra शुक्ल नवमी के दिन, पुनर्वसु नक्षत्र में, श्रीराम का जन्म हुआ.

राम नवमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं, भक्ति भाव से रामचरितमानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्तोत्र और श्रीराम चालीसा का पाठ करते हैं। कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है, अयोध्या में सरयू स्नान और भव्य झांकियों के दर्शन होते हैं.

राम नवमी 2025: तारीख और मुहूर्त

इस वर्ष राम नवमी 6 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। इसे उदय तिथि के अनुसार मनाया जाएगा, जो 6 अप्रैल को सूर्योदय के साथ पूरी होगी। chaitra शुक्ल नवमी तिथि 5 अप्रैल को रात 7:26 बजे से शुरू होकर 6 अप्रैल को रात 7:22 बजे समाप्त होगी। इसलिए, राम नवमी 2025 का मुख्य दिन 6 अप्रैल 2025 रहेगा।

इस दिन भगवान श्रीराम के जन्म का समय अभिजीत मुहूर्त माना जाता है, जो कि इस साल सुबह 11:08 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से पुष्य नक्षत्र और सुकर्मा योग का संगम भी हो रहा है, जो पूजा के लिए अत्यधिक शुभ है।

राम नवमी 2025 पूजा विधि:

राम नवमी पर पूजा करने की विशेष विधि होती है। यदि आप इस दिन व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित विधियों का पालन करें:

  1. प्रभात में स्नान और व्रत संकल्प: सबसे पहले प्रातः समय में पवित्र स्नान करें और फिर भगवान श्रीराम के जन्म की याद करके व्रत संकल्प लें.
  2. पूजा स्थान की सफाई: पूजा स्थान को शुद्ध करके वहां एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और भगवान श्रीराम, सीता माता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें.
  3. चंदन, फूल और अक्षत अर्पित करें: भगवान श्रीराम की पूजा में चंदनफूल, और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद धूपअगरबत्ती, और दीपक जलाएं.
  4. फल और मिठाई का भोग अर्पित करें: भगवान श्रीराम को फल और मिठाई का भोग अर्पित करें। आमतौर पर लड्डूपेडा आदि भगवान को चढ़ाए जाते हैं.
  5. राम के मंत्रों का जाप करें: पूजा के दौरान राम मंत्र का जाप करें। आप निम्नलिखित मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
  6. https://youtube.com/shorts/qGsKff_wBTc

यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हों, अगर हम धर्म के मार्ग पर अडिग रहें, तो हर संकट को पार किया जा सकता है।
जय श्रीराम!

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