maa durga ki hanthi pa aarudh hokar aai hai is chaitra nauratna me ha sabhi ko aashirvad dene , jai mata di

chaitra navratri 2025 devi Durga ki bhakti/ नवरात्री में ऎसे करे कलश स्थापना ,जाने शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि तथा नवरात्री के नौ दिनों में माता के लिए क्या लगाए भोग:-

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

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bhajan:

नवरात्रि:-

नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसमें नव का अर्थ होता है 9 और रात्रि का अर्थ होता 9 रातों और 10 दिन का होता है जिसमें मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है यह त्यौहार संपूर्ण भारत में बहुत ही श्रद्धा भक्ति उत्साह के साथ मनाया जाने वाला पर्व है प्रमुख नवरात्रि जो भारत में मनाई जाती हैं इनमें से चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि हैं, जिनमे चैत्र नवरात्रि का वर्णन नीचे किया गया है।

चैत्र नवरात्रि:-

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है जिसे हम सभी वसंत ऋतु में मनाते हैं यह पर्व माता दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तथा नौवे दिन तक देवी दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है इस नवरात्रि की विशेषता यह है कि चैत्र नवरात्रि का पहला दिन से ही हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है इसलिए इसका विशेष महत्व है।

चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथि :-

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च से हो रहा है तथा इसका समापन 6 अप्रैल को रामनवमी के साथ हो जाएगा साथ ही इस नवरात्रि का पारण 7 अप्रैल को किया जाएगा इस वर्ष 9 दिन के बजाय इस बार 8 दिन की ही पड़ रही है चैत्र नवरात्रि।

कलशस्थापना का मुहूर्त:

  • 30 March सुबह 06:13 से 10:22 तक .
  • अभिजीत मुहूर्त 12 :01 मिनट से 12 :50 तक .

कलशस्थापना पूजन विधि:

चैत्र नवरात्रि में मान्यताओं के अनुसार कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में विधि विधान पूर्वक करना चाहिए इससे सभी भक्तों को आरोग्य घर में सुख समृद्धि का वर प्राप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना वाले स्थान को अच्छे से साफ करने के बाद ही अष्टदल बनाया जाता है इसके अलावा कलश स्थापना के लिए हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल करना उपयुक्त माना जाता है। कलश स्थापना और माता के पूजा के लिए इन चीजों को पहले से घर में लेकर आए .

सामग्री:-

कलश मिट्टी या तांबे की, आम या अशोक के पत्ते, चौकी, लाल कपड़ा, शुद्ध मिट्टी, गंगाजल, मौली, रोली, अक्षत, लाल सिंदूर, सिक्का, सूखा नारियल, जटा वाला नारियल, गाय का घी, रुई, बाती, पीतल या मिट्टी का दीपक धूप पान के पत्ते, जौ, लौंग, इलायची, सुपारी, मिठाई, फल, गुड़हल का पुष्प, सिंगार का सारा सामान।

स्थापना विधि:-

पूजा स्थान को साफ कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाये .

उसके बाद मां दुर्गा की फोटो या मूर्ति उस पर स्थापित करे साथ में गणेश जी को भी स्थापित करें

कलश में गंगाजल, सिक्का, अछत, रोली, दूर्वा आदि डालें .

आम या अशोक के पत्ते कलश के मुख पर रखें वह कलश के किनारो से बाहर की ओर निकले हुए होने चाहिए .

एक जटा वाला नारियल ले उस पर कलावा बांधकर कलश के ऊपर स्थापित करें.

कलश को पूर्व या उत्तर दिशा या ईशान कोण (उत्तर पूर्व) में स्थापित करें।

कलश के पास शुद्ध मिट्टी में जौ बोए तथा रोजाना उसमें जल अर्पित करें .

घटस्थापना के बाद मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत् पूजा करें .

दीप जलाकर मां दुर्गा का आव्हान करें नवरात्रि व्रत का संकल्प ले .

अखंड ज्योति जलाएं जो कि पूरे 9 दिनों तक जलती रहनी चाहिए .

9 दिनों तक मां दुर्गे की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जानी चाहिए तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ और आरती करना चाहिए .

ऐसा करने मात्र से देवी दुर्गा अति प्रसन्न होती है तथा अपने भक्तो पर हमेसा अशीम कृपा बनाये रखती है , एक बार प्रेम से बोलिये माता शेरावाली की जय।

नवरात्री के नौ दिनों के भोग :-

  • दिन माता का स्वरूप भोग
  • पहला दिन –शैलपुत्री माता ———गाय के घी से बनी चीजे या खीर
  • दूसरा दिन –ब्रम्ह्चारिणी माता——- शक्कर या पंचामृत
  • तीसरा दिन –चंद्रघंटा माता ———-दूध से बनी मिठाई
  • चैथा दिन –कुष्मांडा माता ———-मालपुवा
  • पांचवा दिन– स्कन्द माता ———–केला
  • छठा दिन –कात्यानी माता ———-शहद
  • सातवा दिन –कालरात्रि माता——– गुड़
  • आठवा दिन– महागौरी माता ——–नारियल
  • नौवा दिन– सिद्धदात्री माता ——— हलवा पूड़ी

इस प्रकार माता के नौ स्वरूपों के लिए नौ दिनों का अलग अलग भोग लगाया जाता हैं.

Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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