Sheetala Saptami bhakti 2025:-शीतला सप्तमी 2025 की तिथि, पूजा विधि, कथा, महत्व,व्रत, उपाय, शुभ मुहूर्त:-

माता शीतला : माता शीतला के स्वरूप का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है. शीतला देवी का जन्म ब्रह्माजी से हुआ था. शीतला माता को भगवान शिव की अर्धांगिनी शक्ति का ही स्वरूप माना जाता है.

sheetala saptami2025 की तिथि, पूजा विधि, कथा, महत्व,व्रत, उपाय, शुभ मुहूर्त:-

हर साल चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला देवी की पूजा की जाती है. शीतला माता को चेचक रोग की देवी भी कहते हैं. शीतला माता के पर्व को हिंदू समाज में बास्योड़ा नाम से जाना जाता है. इस पर्व के एक दिन पहले शीतला माता के भोग को तैयार किया जाता है और दूसरे दिन बासी भोग को माता शीतला को चढ़ाया जाता है. माना जाता है कि शीतला देवी की पूजा अर्चना से चेचक रोग नहीं होता. छोटे बच्चों को चेचक से बचाने के लिए विशेषकर शीतला देवी की पूजा की जाती है.

Sheetala Shaptami2025 की तिथि,शुभ मुहूर्त:-

इस वर्ष शीतला सप्तमी का पर्व 21 मार्च दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा.
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त:- 06:01 am से 06 :09 pm
सप्तमी तिथि प्रारम्भ :- मार्च 21/2025 को 02 :45 am बजे

सप्तमी तिथि समापन :- मार्च 22/2025 को 04:23 am बजे

पारण का समय:– अगले दिन सूर्योदय के बाद

शीतला सप्तमी व्रत,पूजा विधि:-

सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
माता शीतला की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
पूजन सामग्री:
जल, रोली, मौली, अक्षत, हल्दी, चावल
नीम की पत्तियां, सुहाग सामग्री अर्पित करें।शीतला सप्तमी की कथा का पाठ करें या सुनें।
भोग और आरती: माता को बासी भोजन, गुड़ और कच्चे दूध का भोग लगाएं।
दान-पुण्य: इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है।

शीतला सप्तमी का महत्व

शीतला सप्तमी हिन्दू धर्म का पर्व है, इस दिन माता शीतला की पूजा करके परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है।
यह व्रत विशेष रूप से चेचक, पित्त और त्वचा रोगों से बचाव के लिए किया जाता है।,माता शीतला जिन्हें रोग नाशिनी और स्वास्थ्य की देवी माना जाता है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा जाता है। यह व्रत मुख्यतः देवी शीतला माता की पूजा आराधना के लिए किया जाता है
इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं पकाया जाता, बल्कि एक दिन पहले बने हुए भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.

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